वह 18 जून 1983 का दिन था जब ने टनब्रिज वेल्स पर के खिलाफ खेले गए विश्व कप मैच में नाबाद 175 रन की ऐतिहासिक पारी खेली थी जिससे टीम के खिलाड़ियों में यह विश्वास जगाया था कि वह किसी भी परिस्थिति में जीत दर्ज कर सकते हैं।
कपिल ने यह पारी तब खेली जबकि भारत का स्कोर चार विकेट पर नौ रन था जो जल्द ही पांच विकेट पर 17 रन हो गया था। उन्होंने अपनी 138 गेंदों की पारी में 16 चौके और छह छक्के लगाए। उनके बाद दूसरा सर्वोच्च स्कोर सैयद किरमानी (नाबाद 24) का था। भारत ने आठ विकेट पर 266 रन बनाए और फिर विरोधी टीम को 235 रन पर आउट करके 31 रन से जीत दर्ज थी।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इस संबंध में गुरुवार को ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया जिसमें कपिल ने उस मैच की यादों को ताजा किया। इस दिग्गज ऑलराउंडर ने कहा, ‘जिम्बाब्वे वाला मैच एक ऐसा मैच था जिससे पूरी टीम को यह लगने लगा था कि हम चोटी की चार टीमों को हरा सकते हैं और जब हमारा दिन हो तो हम किसी भी टीम को पराजित कर सकते हैं।’
कपिल देव की अगुआई में भारत ने इसके बाद अपने अंतिम ग्रुप मैच में ऑस्ट्रेलिया को 118 रन के बड़े अंतर से हराया और सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड को छह विकेट से शिकस्त दी। फाइनल में उसका सामना दो बार के चैंपियन वेस्टइंडीज से था।
भारतीय टीम 183 रन पर आउट हो गई लेकिन उसने कैरेबियाई टीम को 140 रन पर समेटकर 43 रन से जीत दर्ज करके विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। कपिल ने कहा, ‘इस पारी ने टीम को भरोसा दिलाया कि हमारे अंदर किसी भी परिस्थिति में जीत दर्ज करने की क्षमता है और हम किसी भी स्थिति में वापसी कर सकते हैं।’
भारत के लिए जिम्बाब्वे के खिलाफ जीत दर्ज करना बेहद जरूरी थी क्योंकि तभी वह सेमीफाइनल में जगह बना सकता था। कपिल ने मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था लेकिन तेज गेंदबाज पीटर रॉसन और केविन कुर्रेन ने भारतीय शीर्ष क्रम को चरमरा दिया।
कपिल देव ने यह ऐतिहासिक पारी तब खेली जब सुनील गावसकर, कृष्णमाचारी श्रीकांत, , संदीप पाटिल और यशपाल शर्मा सस्ते में पवेलियन लौट गए थे। कपिल की पारी तब वनडे क्रिकेट की सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी थी। यह किसी भी भारतीय का वनडे में पहला शतक था और यह अब भी चौथे नंबर से निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए वनडे में सर्वोच्च स्कोर है।