पूर्व मंत्री अकबर का कारनामाः मीडिल स्कूल में व्याख्याता को बनाया प्राचार्य, फाइल पर खुद ही किए हस्ताक्षर

भिलाई/रायपुर(सीजी आजतक न्यूज)। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस शासित सरकार में मंत्री रहे मोहम्मद अकबर की पोल परत दर परत खुल रही है। मंत्री रहते किस तरह के मनमानी किए है इसकी एक बानगी दुर्ग जिले के शिक्षा विभाग में देखने को मिली है। दुर्ग जिले के प्रभारी मंत्री रहते हुए उन्होंने अपनी जमात के लोगों को फायदा पहुंचाने हर अनैतिक और नियम विरुद्ध काम किए है।

मामला शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला फरीद नगर का है जो स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम शाला में परिवर्तित हुआ और उस सत्र में वहां कक्षा आठवीं तक की शाला संचालित थी। शासकीय एग्रीमेंट के विरुद्ध कोषाध्यक्ष के रहते हुए भी नौशाद खान द्वारा अवैधानिक तरीके से शासकीय स्कूल के लेनदेन का संचालन निजी बैंक से किया गया। जबकि संबंधित कर्मचारी आदिम जाति कल्याण विभाग से संबंधित थे, जिसकी जांच अभी चल रही है। स्वजातीय लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए ये सारे कृत्य किए गए जो जांच योग्य है। इनके कार्य अवधि में कुछ मुस्लिम समाज की सामाजिक गतिविधिया भी संचालित हो रही थी। यहां तक राष्ट्रगान में भी व्यवधान उत्पन्न करवाया जाता था।

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बता दें कि नौशाद खान व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल तकिया पारा को मोहम्मद अकबर की अनुशंसा पर फरीद नगर में प्रभारी प्राचार्य के पद पदस्थ किया गया जो भर्ती पदोन्नति नियम के विरुद्ध था। इस मामले में बकायदा उन्होंने अनुशंसा लेटर पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे। पत्र पर दुर्ग के तत्कालीन कांग्रेस विधायक अरुण वोरा के भी हस्ताक्षर थे। इस मामले में सबसे चौकाने वाली बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) अभय कुमार जायसवाल सभी तथ्यों को जानते हुए नियम विरद्ध फाइल को आगे बढ़ाने और साथ देने का काम किया है। DEO ने मीडिल स्कूल होते हुए भी उस शाला में सात व्याख्याता, एक पीटीआई और लिपिक (लेखापाल) वर्ग की नियुक्त कर शासन को लाखों का चूना लगाया है। इसी स्कूल में डीएमएफ फंड से जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लाखों की खरीदी की गई है। बताया जाता है कि पूर्व प्रधानपाठक सख्त, अनुशासित और नियमों का पालन करते थे। वे भ्रष्टाचार की राह में रोड़ा बन रहे थे और उन्हें जातीय व्यवस्था (हिंदू होने) के कारण वहां से हटा दिया गया है।

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