जिले का अब तक का सबसे कमजोर कलेक्टरः बरसात के पहले की शिकायत का निराकरण सीजन खत्म होने के बाद नहीं हुआ, क्या हर मामले के लिए जाना पड़ेगा कोर्ट?


भिलाई/रायपुर(सीजी आजतक न्यूज)। छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे वीआईपी जिले दुर्ग के कलेक्टर अब तक का सबसे कमजोर कलेक्टर साबित हुआ है। जिले में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। कलेक्टर ऑफिस और कलेक्टर जनदर्शन में शिकायतों के बाद भी लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है। शहर के अलावा दूर दराज ग्रामीणों क्षेत्रों से आने वाले नागरिकों की समस्याओं का भी समाधान नहीं हो रहा है। लोग काम धंधा छोड़कर और पैसे खर्चकर कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत करने आते है और उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं होता है। दर्जनों बार शिकायत के बाद उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ है, ऐसे एक नहीं सैकड़ों उदाहरण है। त्वरित निर्णय लेकर समस्या निराकरण मामले में दुर्ग कलेक्टर अबतक का सबसे कमजोर साबित हुआ है। इससे कलेक्टर जनदर्शन पर ही सवाल उठ रहे है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे पीड़ित आखिर जाए तो कहां जाए?

मामला छत्तीसगढ़ राज्य के सीएम के गृह जिले दुर्ग के पाटन विधानसभा क्षेत्र का है। जहां ग्राम पंचायत सेलूद द्वारा शासकीय राशि (डीएमएफ फंड) का दुरुपयोग करते हुए अनुपोयगी जमीन पर सीमेंटीकरण किया जाना है। गांव के पीड़ित ने बारिश के पहले इसकी शिकायत की थी और बारिश का सीजन खत्म हो जाने के बाद भी समस्या का निराकरण तो दूर की बात है आवेदन पर विचार ही नहीं किया गया। जब सीएम के गृह जिले और उनके विधानसभा क्षेत्र के गांव का यह हाल है तो इससे पूरे प्रदेश के जिलों की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

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केस-01: एक अन्य मामले में दुर्ग कलेक्टर ने रायपुर कमिश्नर के रेवेन्यू रिकवरी सटिर्फिकेट आदेश (RRC) का पालन नहीं किया। क्षेत्रीय श्रमायुक्त (केंद्रीय) रायपुर ने दुर्ग कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी को 52 लाख 17 हजार 552 रुपए वसूली के आदेश जून 2022 को दिए थे। जिसका पालन और क्रियान्वयन आज तक नहीं किया। मामला रेलवे ठेकेदार (डायमंड इंटरप्राइजेस) से जुड़ा हुआ है। ठेकेदार ने मजदूरों का भुगतान नहीं किया था। इसके खिलाफ मामले की शिकायत मजदूरों ने क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर में की थी। वहां से जिले के कलेक्टर को ठेकेदार (और रेलवे प्रशासन) से वसूली कर मजदूरों को भुगतान करने का आदेश पारित किया गया था।

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केस-02: जिले के पाटन विधानसभा के ग्राम सेलूद का है जहां पंचायत की मनमानी और शासकीय राशि (डीएमएफ फंड) का दुरुपयोग करते हुए अनुपयोगी जगह पर सीमेंटकरण की शिकायत बारिश के पहले कलेक्टर कार्यालय और कलेक्टर जनदर्शन में की गई थी। बारिश का सीजन निकलने के बाद भी इस समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है। अनुपयोगी जगह पर सीमेंटकरण से एक परिवार के घर का बरसाती पानी और तीन ब्यारा का पानी निकासी बंद हो गया। घर के आंगन में पानी भरने की शिकायत पंचायत से लेकर, तहसीलदार और पाटन एसडीएम को की गई थी। समस्या का निराकरण नहीं होने के कारण परिवार को भरी बरसात में पलायन करना पड़ा। फिर इस मामले की शिकायत कलेक्टर के अलावा कलेक्टर जनदर्शन (टोकन नंबर 2100223007971, सुरक्षा नंबर 297, दिनांक 04/09/2023) को की गई थी।

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केस-03: एक अन्य मामला भिलाई नगर में निजी स्कूल संचालक द्वारा सड़क की जमीन पर कब्जा का है। इस मामले में शिकायत संबंधित विभाग से लेकर कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर ने इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे सैकड़ों शिकायतों की फेहरिस्त इस सीजी आजतक न्यूज के पास है। पीड़ितों की शिकायत और अब तक कलेक्टर जनदर्शन के लगाए चक्कर के बारे में अलग से जानकारी दी जाएगी।

कलेक्टर की भूमिका पोस्टमैन की

वहीं इस संबंध में आम आदमी पार्टी ने कहा कि कलेक्टर जनदर्शन में कलेक्टर की भूमिका पोस्टमैन से ज्यादा नहीं है। लोग शिकायत करते हैं और कलेक्टर संबंधित विभाग को पोस्टमैन की तरह आवेदन फॉरवर्ड कर देते है। इसके बाद उस आवेदन पर क्या कार्रवाई हुई है या रद्दी की टोकरी में फेंक दी गई इसकी जानकारी आवेदक को भी नहीं मिल पाती है।

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सबसे बड़ा सवाल क्या हर मामले को लेकर जनता कोर्ट जाएगी?

जब जिले की सबसे बड़ी एजेंसी कलेक्टर के पास समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है तो सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जनता (पीड़ित) कहां जाए? सभी पीड़ित कोर्ट जाने के लिए सक्षम नहीं होते हैं। जनता कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ना नहीं चाहती जिसका फायदा ऐसे अकर्मण्य अधिकारी उठाते है और बदनामी सरकार की होती है। ऐसे ही जिम्मेदार अधिकारियों के कर्तव्य पालन नहीं करने, नियम कानून की गलत व्याख्या और लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाने (घूसखोरी) के चक्कर में जिला अदालत और उच्च न्यायालय बिलासपुर में लाखों मामले लंबित है।

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कलेक्टर जनदर्शन दुर्ग की पुरानी एवं डेमो पिक

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