CM के विधानसभा क्षेत्र और PWD मंत्री के गृह जिले में ऐसा हुआ काम, सड़क चौड़ीकरण और नाली निर्माण में गड़बड़ी, किसी ने रोका न टोका

भिलाई/रायपुर(सीजी आजतक न्यूज)। सीएम के विधान सभा क्षेत्र और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री के गृह जिला में ग्राम सेलूद में सड़क चौड़ीकरण और नाली निर्माण में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। पहले संबंधित विभाग ने सड़क की चौड़ाई कम कर दी। उसके बाद बाद नाली निर्माण में मनमानी पूर्वक काम किया है। इस काम में सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माणी एजेंसी के साथ साथ संबंधित विभाग (छत्तीसगढ़ रोड़ एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड) की मनमानी भी सामने आई है। वहीं काम में मानिटरिंग करने वाले अधिकारियों की मनमानी से ग्रामवासी परेशान रहे।

सबसे पहले काम की निविदा जारी होने के बाद निर्धारित तिथि में काम पूरा नहीं हुआ। इसमें विभाग के साथ साथ अधिकारियों की मनमानी भी समाने आई है। गांव के एक-दो लोगों ने सवाल जवाब किया तो मुआवजा और चौड़ाई कम करने का मामला कोर्ट में लंबित होने का बहाना बनाकर ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाते रहे। इसके बाद काम निर्माणी ने पेटी कान्ट्रेक्टर को दे दिया जिससे काम में देरी हुई है।

पहले गांव में लगे पेड़ों की कटाई का मामला उठा तो निर्माणी कंपनी ने हिंदुस्तान की ऐसी नालियां बनाई जो आजतक इतिहास में नहीं हुआ। नालियां टेढ़-मेढ़ी बनाकर बस्ती के भीतर रुके काम को शुरू किया गया। उसके बाद लगभग छह महीने तक काम बंद कर दिया। इसके बाद जब सड़क चौड़ीकरण का काम बस्ती के भीतर शेष जगहों पर शुरू हुआ तो अचानक पेड़ों की कटाई कर दी गई। इसके बाद सड़क का चौड़ीकरण शुरू कर दिया। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह कि जिन पेड़ों की वजह से नालिया टेढ़ी-मेढ़ी बनाई गई उसे बाद में काट दिया गया। इस मामले में ग्रामीणों ने कुछ न कुछ बोला ना ही विरोध किया। नाली निर्माण के दौरान सड़क की चौड़ाई फिर कम कर दी गई। मतलब नालियां तो बनाई गई किंतु सड़क का सीमेंटीकरण नालियों तक नहीं कर दो फीट की चौड़ाई में डंडी मार दी गई। नालियां ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाई गई हैं किंतु बारिश में यही नालियां ग्रामीणों के परेशानी का सबब बन गई।

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नालियां न तो साफ की गई है न ही नालियों में भरी गंदगी, मेटिरियल (सामग्री) बाहर निकाली गई है। इस मामले में किसी ने भी संज्ञान नहीं लिया। कोई जवाब नहीं आया इस मामले में गांव के जारूक नागिरक ने कई बार आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत जानकारी मांगी। विभाग ने संतोषपूर्ण जवाब देना उचित नहीं समझा। इसी तरह बस्ती के भीतर अकारण 60 साल पुरानी मंदिर की दीवार तोड़ दी गई। इस मामले में विभाग के चीफ इंजीनियर (मुख्य अभियंता) से लेकर सचिव तक शिकायत की गई। किसी ने जवाब देना भी उचत नहीं समझा। गांव के पीड़त इस मामले में कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि जब सीएम के विस क्षेत्र और मंत्री के गृह जिले का यह हाल तो प्रदेश के अन्य जिलों के सरकारी कामों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

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