राजस्थान पत्रिका के भ्रष्ट ब्रांच मैनेजर को कोर्ट ने भेजा जेल

भिलाई/जगदलपुर. देश और प्रदेश के लोगों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाला राजस्थान पत्रिका अखबार अपने घर को संभाल नहीं पा रहा है। उनके अपने संस्थान में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है। राजस्थान (जयपुर मुख्यालय) सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उच्च पदों पर बैठे लोग ही संस्थान को आर्थिक चूना लगा रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी विभिन्न प्रदेशों में अपने संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार को नहीं रोक पा रहा है, तो वे देश और प्रदेशके भ्रष्ट सिस्टम को क्या सुधार पाएगा?

ताजा मामला छत्तीसगढ़ प्रदेश का है जहां के पूर्व ब्रांच मैनेजर को कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। जगदलपुर संस्करण के पूर्व ब्रांच मैनेजर (बीएम) शब्द कुमार सोलंकी पर भारी आर्थिक अनियमितता, गबन और कमीशनखोरी के आरोप लगे हैं। उन्हें एक दिन में तो आर्थिक गड़बड़ी नहीं की होगी, मतलब संस्थान में उच्च पदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत एवं वरदहस्त के कारण ही लाखों रुपए की आर्थिक गड़बड़ी हुई है। पानी जब सिर से ऊपर निकल गया तो इस कृत्य में शामिल अन्य उच्च लोगों को बचाकर उसके खिलाफ मजबूरी में रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी। प्रबंधन की रिपोर्ट पर ही उसे 24 नवंबर को कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।

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बता दें कि शब्द कुमार सोलंकी ने राजस्थान पत्रिका में बतौर टेलीफोन ऑपरेटर करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद विज्ञापन, सर्कुलेशन और आईटी विभाग के होते हुए चमचागिरी और चाटुकारिता के बल पर जगदलपुर संस्करण का शाखा प्रबंधक (बीएम) पद तक पहुंच गया था। पर यहां भी उसकी हरकत बंद नहीं हुई। यह भी बताया जाता है कि बतौर पनिशमेंट उसकी पोस्टिंग जगदलपुर में हुई थी। उसके खिलाफ रद्दी बेचने, स्टेशनरी सहित अन्य सामग्रियों की खरीदी सहित एंजसियों को एनओसी देने में जमकर कमीशनखोरी की गई थी। 50 हजार रुपए लेकर विज्ञापन छापता था और रिकवरी नहीं होने पर एंजेसी को बंद पति/पत्नी या बेटे के नाम पर नया एजेंसी दे देता था। इसी तरह मजीठिया वेजबोर्ड केस लगाने वाले कर्मचारियों का ग्रेज्युटी और सेटलमेंट करवाकर कंपनी का रुपए बचाकर लाभ दिखाता था।

कई संपादक और अधिकारी भ्रष्टाचार में डूबे
बताया जाता है कि राजस्थान पत्रिका के मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई संपादक और उच्च अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। उनके भ्रष्टाचार के कारनामों की जानकारी जयपुर मुख्यालय को लग चुकी है। ऐसे लोगों के खिलाफ भी प्रबंधन की गाज गिर सकती है। इनमें छत्तीसगढ़ का एक संपादक है जिसने राजधानी रायपुर में लगभग एक करोड़ रुपए का बंगला खरीदा है। इसी तरह कई अधिकारी भी जिसके भ्रष्टाचार की अंदरुनी जांच चल रही है। यह भी बताया जाता है कि एक संपादक की कई लक्जरी गाडिय़ा मंत्रालय में किराए पर चल रही है। मतलब राजस्थान पत्रिका के गुलाब कोठारी देश और दुनिया को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हंै और अपने घर के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार को रोक नहीं पा रहा है। यह भी बताया जाता है कि संस्थान की आंखों में धूल झोंककर राजस्थान मूल के उच्च पदों पर बैठे लोग ही पत्रिका की छवि पर बट्टा लगा रहे हैं।

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कोरोना काल में एक भी राजस्थानी को नहीं निकाला
बताया जाता है कि पत्रिका प्रबंधन ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण काल में कर्मचारियों की छटनी की है। इनमें अधिकतर लोग स्थानीय है। उच्च पदों पर बैठे एक भी राजस्थानी को नौकरी से नहीं हटाया गया है। इससे पत्रिका प्रबंधन की बाहरी और स्थानीयों के बीच कितना भेदभाव है यह पता चलता है। राजस्थान पत्रिका में भाई-भतीजावाद खूब चल रहा है। इसके पहले भी अपने दामाद की नौकरी बचाने जयपुर में बैठे ससुर ने रायपुर ब्रांच मैनेजर अभिषेक चौधरी की बलि ले थी।

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